लेखनी प्रतियोगिता -19-Apr-2022 भ्रूण हत्या की पुकार (मुझे जग में आने दो मां)
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-(एक भ्रूण की पुकार)
मुझे जग में आने दो मां
नई चेतना लाने दो मां
मुझे जग में आने दो मां
मम्मी! तेरी बेटी हूं मैं
अभी गर्भ में लेटी हूं मैं
मम्मी क्लीनिक मत जाना
गर्भ जांच मत करवाना
पापा को समझा देना
दुनिया को समझा देना
बात नहीं मानोगी क्या मेरी
कर दोगी क्या हत्या मेरी
रोको उनको बनकर बागी
ना बन भ्रूण हत्या की भागी
आंचल में सोने दो मां
लोरी मुझे सुनाओ मां
मुझे दुनिया दिखाओ मां
मुझे जग में आने दो मां
बेटी ही भाई की दादी
दादी नानी बुआ भतीजी
रिश्ते मुझे निभाने दो मां
मुझे जग में आने दो मां
मुझे भी बनना है कल्पना
आकाश के तारों को छू आऊंगी
देश के लिए मिसाल बन जाऊंगी
मैं तेरी ही बेटी कह लाऊंगी।
"भूर्ण हत्या कागजों में सूख गई है,
बात केवल बात है
बच्चियां तो समाज से छुप गई हैं
किसको कहूं मेरे दर्द को
मुफ्त में मेरी लेखनी टूट गई है
आज भी भ्रूण हत्या के शव कचरा पात्र में दिखाई देते हैं
उस कन्या को मौत हवाले करने वाले दानव कहलाते हैं।
Swati chourasia
20-Apr-2022 04:27 PM
Very beautiful 👌
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Shrishti pandey
20-Apr-2022 03:13 PM
Very nice
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Punam verma
20-Apr-2022 08:39 AM
Nice
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